नवभारत का 350 करोड़ का भूखंड घोटाला

लेखक : उन्मेष गुजराथी

11 Oct, 2022

 

सिडको ने 60 साल की लीज पर दी है जमीन

कर्मचारियों को नहीं मिले फ्लैट

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स Exclusive

सर्कुलेशन घोटाला के बाद हिंदी दैनिक ‘नवभारत’ का एक और घोटाला सामने आया है. इस बार यह घोटाला करोड़ों रुपए की जमीन का है. स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को इस संबंध में सूचना के अधिकार से मिली जानकारी की प्रति हाथ लगी है.

पत्रकारों, गैर पत्रकारों की मेहनत पर करोड़ों रुपए कमाने वाला मालिक आज उन्हीं पत्रकारों, गैर पत्रकारों के हक का फ्लैट बिल्डर की मिलीभगत से बेच डाला है. स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने अपनी तहकीकात में पाया कि नवभारत मैनेजमेंट ने सिडको से 1 नवंबर 2002 को सानपाड़ा (पूर्व), सेक्टर-8, प्लॉट नंं. 13 की 4,000 वर्गमीटर जमीन 60 साल के लीज पर कौड़ियों के भाव हासिल की.

सिडको ने जमीन एलाॅट करते समय 4,000 वर्गमीटर में से 1,800 वर्गमीटर जमीन पर प्रेस के लिए कार्यालय व उससे संबंधित कार्य के अलावा 2,200 वर्गमीटर जमीन पर कर्मचारियों के लिए हाउसिंग सोसाइटी की शर्त रखी थी, लेकिन ‘नवभारत’ प्रबंधन ने शर्त का उल्लंघन करते हुए नवी मुंबई के एक बिल्डर के जरिए प्रेस कार्यालय के लिए 2 महले की बिल्डिंग बनाने की एवज में 2,200 वर्गमीटर जमीन पर 7 महले का टॉवर निर्माण कर बेच दिया.

7 महले के इस टॉवर में 79 फ्लैट्स, 23 कामर्शियल शॉप्स व 13 ऑफिसेस का निर्माण किया गया है, जिनमें से एक भी ‘नवभारत’ के कर्मचारी के नाम पर एलॉट नहीं हुआ. इन सभी फ्लैटों, कामर्शियल शॉप्स, 13 ऑफिसों की वर्तमान में कीमत 3,50 करोड़ से ज्यादा बताई जाती है. इस महाघोटाले में ‘नवभारत’ मैनेजमेंट, बिल्डर और सिडको अधिकारी शामिल हैं.

मुंबई हाईकोर्ट ने ठोका जुर्माना

टॉवर व ऑफिस बिल्डिंग निर्माण में अनियमितता (एफएसआई चोरी) पाए जाने पर मुंबई हाईकोर्ट ने 18 जुलाई 2014 को ‘नवभारत’ मैनेजमेंट को जुर्माना ठोका था.

बताया जाता है कि करीब 87 लाख जुर्माने में से अभी भी आधा से ज्यादा जुर्माने की रकम ‘नवभारत’ मैनेजमेंट ने जमा नहीं की है. इस तरह की जानकारी भी स्प्राउट्स की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के हाथ लगी है.

नियम को ताक पर रखकर चल रहा प्रिंटिंग प्रेस

* सिडको ने ‘नवभारत’ को आवासीय क्षेत्र (आर जोन) में जमीन एलॉट की है. इसके बावजूद यहां नियम को ताक पर रखकर ‘नवभारत’ मैनेजमेंट प्रिंटिंग प्रेस लगाया है, जबकि प्रिंटिंग प्रेस एमआईडीसी में होना चाहिए. संबंधित विभाग भी आंख मूंदकर बैठा है.

* इस प्रिंटिंग प्रेस के साथ ब्यायलर भी लगा है, जो मशीनों को ठंडा करने का काम करता है. प्रिंटिंग प्रेस के आस-पास हजारों लोग निवास करते हैं, उनकी जान को कभी भी धोखा हो सकता है. क्योंकि बॉयलर फटने की स्थिति में कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं है

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