लेखक : उन्मेष गुजराथी
6 Oct, 2022

विज्ञापनदाताओंसहित पाठकों की आंखों में झोंकी जा रही हैं आंकड़ो की धूल
उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स Exclusive
ABC के मुताबिक़ नवभारत नागपुर की प्रसार संख्या जनवरी 2011-जून 2011 के बीच 1,20,722 प्रतियाँ प्रतिदिन थी. इसी तरह जुलाई 2011-दिसम्बर 2011 के बीच प्रसार संख्या 1,21,372 और जनवरी 2012-जून 2012 के बीच 1,27,077 प्रतियाँ प्रतिदिन दर्ज हुई.
इसके बाद नवभारत ने ABC को छोड़कर RNI को अपना लिया और RNI के सर्टिफ़िकेट के मुताबिक़ 2013-2016 के बीच नवभारत नागपुर की प्रतियाँ 2,99,470 एवं 2017-2018 के बीच 3,14,443 प्रतियाँ प्रतिदिन दर्ज हुईं. ये आँकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हैं.
पूरे महाराष्ट्र में भी प्रसार संख्या में असामान्य वृद्धि
नवभारत महाराष्ट्र ग्रुप की कुल प्रसार संख्या में भी असामान्य वृद्धि दिख रही है. इनकी कुल प्रतियाँ RNI सर्टिफ़िकेट के मुताबिक़ 7,55,131 प्रतिदिन हैं. इसमें नवभारत नागपुर (चंद्रपुर और अमरावती मिलाकर) की प्रतियाँ 3,14,443 तो हो ही गईं हैं, साथ ही नासिक की 1,00,544 प्रतियाँ,मुंबई की 2,95,144 प्रतियाँ और पुणे की 45,000 प्रतियाँ प्रतिदिन हो गईं हैं.
अगर मान लिया जाए कि नवभारत महाराष्ट्र ग्रुप का प्रसार 7,55,131 प्रतियाँ प्रतिदिन हैं तो इतनी बिक्री के एवज़ में नवभारत की बैलेन्स शीट में सेल का आँकड़ा 55 करोड़ रुपए (टर्न ओवर) होना चाहिए था पर उनकी ऑडिटेड बैलेन्स शीट 2018 में सेल का ये आँकड़ा मात्र 18.98 करोड़ दिख रहा है. इससे पता चलता है कि नवभारत को ABC छोड़कर RNI अपनाने से प्रसार संख्या में असीमित और अप्रत्याशित लाभ हुए जो कि व्यावहारिक दृष्टि से साबित होना सम्भव नहीं है.
न्यूज़ प्रिंट अमाउंट में गड़बड़ी
ऑडिटेड प्रॉफ़िट एंड अकाउंट पर नज़र डालें तो 2018 में न्यूज़ प्रिंट उपयोग 21.83 करोड़ है. इस अमाउंट से केवल 2,58,236 प्रतियाँ छापी जा सकतीं हैं जबकि इस अवधि में उनका क्लेम 7,55,131 प्रतियों का है, जिसके लिए क़रीब 64 करोड़ रुपए का न्यूज़ प्रिंट चाहिए.
यही रिपोर्ट बताती है कि नवभारत का 2017-18 में सेल 18.98 करोड़ थी. अगर एक अख़बार की क़ीमत 3.50 रुपए है और साल में 358 दिन प्रकाशन होता है तो प्रतिदिन प्रतियों का औसत 1,51,486 होना चाहिए जबकि इन्होंने अपना प्रसार 7,55,132 प्रतियाँ बताया है, जिसका टर्न ओवर 55 करोड़ रुपए होना चाहिए था.
बिजली बिल से मेल नहीं
2018 में जनवरी, फ़रवरी और मार्च के बिजली बिल बताते हैं कि खपत का औसत 37473 kWh था.
नवभारत (हिंदी) नागपुर और नवराष्ट्र (मराठी) नागपुर की कुल 1,24,99,020 प्रतियाँ प्रतिमाह छपने का दावा है.
अगर उक्त खपत से बिजली बिल देखें तो प्रतिमाह का औसत बिल 3,03,638 रुपए है पर उक्त प्रतियाँ छापने के लिए ये बिल लगभग 11,17,649 रुपए होना चाहिए.
(ये आँकड़ा नागपुर के ही दो अख़बारों की प्रिंटिंग मशीन की तुलना पर आधारित है. )
स्कूलों के नाम पर भी फ़र्जीवाड़ा
नवभारत का दावा है कि वो स्कूलों में 2 लाख प्रतियाँ 1 रुपए के भाव से बेचता है.
नवभारत अपने स्पेशल एडिशन की प्रतियाँ प्रतिदिन 3,15,000 बताता है. इनमें से 2 लाख प्रतियाँ स्कूलों में प्रसार की बताता है.
स्कूल हिंदी, इंग्लिश और मराठी माध्यम के हैं.
इंग्लिश और मराठी माध्यम के स्टूडेंट हिंदी नवभारत को नहीं पढ़ते और हिंदी माध्यम के स्कूल नागपुर में नहीं के बराबर हैं.
ये भी तथ्य है कि स्कूल सालभर में डेढ़ सौ दिन ही खुलते हैं.
इससे नवभारत का 2 लाख का सर्क्यलेशन संदिग्ध नज़र आता है.
पीआईबी के आँकड़ों से भी मेल नहीं
स्प्राउट्स के जानकारी के अनुसार पीआईबी ने 2019 में नवभारत नागपुर को जो सर्क्यलेशन सर्टिफ़िकेट दिया है वो एक लाख से कम है जबकि RNI के सर्टिफ़िकेट के ज़रिए नवभारत का दावा 3,14,443 प्रतियों का है.
PIB ने मुंबई कार्यालय के ज़रिए ये रिपोर्ट दिल्ली स्थित PIB और RNI को भेजी है, उसके बावजूद नवभारत को विज्ञापन का रेट 3,14,443 प्रतियों के आधार पर मिल रहा है और इससे सरकार को करोड़ों रुपए का नुक़सान हो रहा है. जानकारी के अनुसार RNI ने PIB की रिपोर्ट आने के बावजूद रेट कम करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है.
Unmesh Gujarathi
9322755098
Big circulation fraud In Navabharat, Nagpur
shorturl.at/fIR57
Circulation fraud of Navabharat
नवभारत का सर्कुलेशन स्कैंडल
https://rb.gy/mbe3zs
https://rb.gy/mbe3zs


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