आयुर्वेद के नाम पर ‘सफेद जहर’ बेच रहा है पतंजलि

लेखक : उन्मेष गुजराथी

10 Jan, 2023

उन्मेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

पतंजलि (Patanjali) द्वारा चेतावनी नोट को छोड़कर, मधुमेह के रोगियों को अपने च्यवनप्राश (Chyawanprash) का उपयोग करने से बचने के लिए सावधान करते हुए, इस बात पर बहुत कम बात की गई है कि अतिरिक्त शुगर कंटेंट का किस प्रकार का व्यसनी प्रभाव (addictive effect ) होता है, खासकर उन बच्चों में जो इसका व्यापक रूप से लक्षित उपभोक्ता आधार हैं. यह केवल पतंजलि के बारे में ही नहीं बल्कि डाबर (Dabur) जैसे प्रतिस्पर्धी ब्रांडों के बारे में भी है. स्प्राउट्स (Sprouts) की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने खुलासा किया है कि लगभग ये सभी प्रतिस्पर्धी ब्रांड्स सामग्री (ingredients) के समान मिश्रण का उपयोग करते हैं.

स्प्राउट्स की एसआईटी द्वारा खोजे गए आंकड़ों से संकेत मिलता है कि पतंजलि के च्यवनप्राश के प्रत्येक 10 ग्राम में 6730 मिलीग्राम चीनी मौजूद है. हालांकि चीनी की कम मात्रा का दावा करनेवाला डाबर, व्यसनी उपभोग पैटर्न (addictive consumption patterns) सृजित करने के दायित्व से मुक्त नहीं है. डाबर में प्रत्येक 10 ग्राम
में चीनी का स्तर 2.82 ग्राम दिया गया है.

यह भी पाया गया है कि ये दोनों ब्रांड्स अपने न्युट्रिशन कंटेंट (nutrition content) की सटीक प्रकृति का खुलासा करने में विफल रहे हैं.

इसे संक्षेप में कहें तो, पतंजलि उत्पाद अपने च्यवनप्राश में अतिरिक्त चीनी का उपयोग अपने ब्रांड को अपने लक्षित ग्राहकों, बड़े पैमाने पर बच्चों के बीच पसंदीदा बनाने के लिए करते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि दोनों आयुर्वेदिक उत्पाद हैं. आयुर्वेद (Ayurveda) स्पष्ट रूप से कहता है कि चीनी “सफेद जहर” है. तुलनात्मक रूप से एंटीऑक्सिडेंट्स (antioxidants) में समृद्ध और वसा और कार्बोहाइड्रेट्स (carbohydrates) में कम होने का श्रेय डाबर को जाता है.

हालाँकि, यह एक ब्रांड के बारे में दूसरों पर ब्राउनी पॉइंट स्कोर करने के बारे में नहीं है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ये दोनों ब्रांड्स आयुर्वेदिक उत्पादों की छत्रछाया में आने का दावा करने के बावजूद बड़ी मात्रा में चीनी का उपयोग करते हैं.

आयुर्वेद सख्ती से चीनी से बचने और इसके बजाय गुड़ या रॉक कैंडी (rock candy) या मिश्री (sugar candy) का उपयोग करने की सलाह देता है. अस्थिर शुगर लेवल से थकान, मिजाज में बदलाव, सिरदर्द और इससे भी खतरनाक, इसे ज्यादा खाने की लालसा हो सकती है. आगे चलकर, यह किसी के जीवनकाल में मोटापा (obesity), मधुमेह या हृदय रोग का कारण बन सकता है.

इसके अलावा चीनी मानव प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रियाओं (human immune system’s responses) का दमन करने के लिए भी जिम्मेदार है. इसके अलावा, चीनी को तेजी से उम्र बढ़ने के लिए भी जाना जाता है जो झुर्रियों या ढीली त्वचा के रूप में दिखाई देता है. स्प्राउट्स की एसआईटी का सुझाव है कि लोग स्थानीय वैद्य से च्यवनप्राश खरीदें.

रिपोर्ट लिखे जाने के समय कथित ब्रांड्स के प्रवक्ताओं से बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन यह विफल रहा.

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