क्या टल सकती थी शशिकांत वारिसे की हत्या?

लेखक : उन्मेष गुजराथी

13 Feb, 2023

उमेष गुजराथी
स्प्राउट्स एक्सक्लूसिव

रत्नागिरी में रिफाइनरी प्रोजेक्ट (refinery project) का काफी विरोध हो रहा है. लेकिन विरोध कर रहे पत्रकार की बेरहमी से हत्या कर दी गई. इतना ही नहीं कई ऐसे विरोध करने वाले ईमानदार समाजसेवियों को तड़ीपार के नोटिस भी भेजे गए. इसके खिलाफ लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं पर कई बार हमले हो चुके हैं. इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई शिकायतें की थीं. हालांकि इन शिकायतों को पुलिस प्रशासन हमेशा खारिज करता रहा.

12 सितंबर 2022 को समाजसेवियों ने थाने में तहरीर दी. इस शिकायत में कहा गया था कि इन सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपनी जान का खतरा है. इतना ही नहीं लिखित रूप में यह भी दिया गया है कि जान से मारने की धमकी मिल रही है.

इसमें शिकायत की गई कि अगर हमारे संगठन के पदाधिकारियों, गाइड्स और स्थानीय विरोधियों पर हमला किया गया और उनकी जान को नुकसान पहुंचाया गया तो राज्य के उद्योग मंत्री एवं रत्नागिरी जिले के संरक्षक मंत्री उदय सामंत (Uday Samant), स्थानीय विधायक राजन साल्वी (Rajan Salvi), किरण (भैया) ) सामंत (Kiran (Bhaiya) Samant), पंढरीनाथ आंबेरकर (Pandharinath Amberkar) आदि को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. लेकिन इस पत्र को कूड़ेदान की टोकरी में फेंक दिया गया. इस बारे में विस्तृत खबर का एक अंश शशिकांत वारिसे (Shashikant Warise) ने 14 सितंबर, 2022 को दैनिक “महानगरी टाइम्स” (Mahanagari Times) में भी प्रकाशित किया था.

मामला क्या था?

12 सितंबर 2022 को राजापुर कोर्ट परिसर में रिफाइनरी विरोधी संगठन के पदाधिकारियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं नरेंद्र जोशी (Narendra Joshi) व दीपक जोशी (Deepak Joshi) व अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई. किसी तरह बचकर निकले इन कार्यकर्ताओं ने भूमाफिया पंढरीनाथ आंबेरकर और उसके गुंडों के खिलाफ थाने में तहरीर दी है. लेकिन, पुलिस ने इस पर कोई गंभीरता से ध्यान नहीं दिया.

नतीजतन, आंबेरकर और उनके गुंडों ने खुलेआम 13 सितंबर को थाने में कार्यकर्ताओं और किसानों को जान से मारने की धमकी दी. दरअसल, अगर पुलिस ने आंबेरकर और उनके गुंडों के खिलाफ उसी समय कार्रवाई की होती तो पत्रकार वारिसे की हत्या नहीं होती. लेकिन कथित सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता दिलीप इनकर (Adv Dilip Inkar) के अनुसार, आंबेरकर पर उदय सामंत की कृपा और पुलिस पर दबाव के कारण जांच प्रणाली ठंडी पड़ गई.

सामंत के बढ़ते दबदबे पर पानी फिरने की संभावना है

रत्नागिरी में पत्रकार शशिकांत वारिसे (Shashikant Warise) की हत्या बेहद संवेदनशील मामला है. लेकिन इस हत्याकांड में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने चुप्पी साध रखी है. उल्टे उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने इसके लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है. इस बीच संजय राउत (Sanjay Raut) ने इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी पंढरीनाथ आंबेरकर और पालक मंत्री उदय सामंत की तस्वीर ट्वीट की है. इस ट्वीट से संकेत मिल सकता है कि सामंत ही हत्याकांड का मास्टरमाइंड था.

“स्प्राउट्स” (Sprouts) के सूत्रों के मुताबिक उदय सामंत और उनके भाई किरण उर्फ भैया सामंत के एकाधिकार, दबदबे को इस मामले में फिट किया जा सकता है. किरण सामंत के राजनीतिक भविष्य को “खतरे में डालने” की आशंका भी जताई जा रही है. अगर ऐसा होता है तो सामंत बंधुओं की बढ़ती राजनीतिक और आर्थिक महत्वकांक्षाओं को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

शशिकांत वारिसे के बारे में:
रत्नागिरी के पत्रकार शशिकांत वारिस की छह फरवरी को हत्या कर दी गई थी. हत्या बहुत ही बेरहमी से की गई थी. वारिसे बहुत ही ईमानदारी और निष्ठा से पत्रकारिता कर रहे थे. वे दैनिक ‘महानगरी टाइम्स’ (Mahanagari Times) के लिए लिखते थे. वे इस दैनिक के रत्नागिरी जिले के प्रतिनिधि थे. इस जिले के प्रत्येक मंडल के अपने ‘स्रोत’ थे.

दूसरे पत्रकार मोदी सरकार द्वारा कोंकणी लोगों पर थोपी गई विनाशकारी परियोजनाओं पर चापलूसी करते हैं. वारिसे की खबर विस्फोटक लेकिन विश्वसनीय थी. वे पत्रकारिता को व्रत मानने वालों में से थे. उनके घर के हालात खराब हैं. लेकिन वे कभी किसी के झांसे में नहीं आए और न ही धमकियों से डरे. पहले भी उन्हें पंढरीनाथ आंबेरकर जैसे कई लोगों ने धमकाया था. लेकिन उन्होंने किसी की भी नहीं सुनी.

आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल है
शशिकांत का घर राजापुर तालुका के कशेली (Kasheli) गांव में है. इस घर में 5 से 6 लोग ही बैठ सकते हैं.

परिवार में यश (Yash) नाम का एक ही बेटा है, मां बहुत बूढ़ी है और वह भी उम्र के कारण अब बिस्तर पर पड़ी है. यश जब चार साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया था.

कुछ महीनों के बाद, पंढरीनाथ आंबेरकर, अन्य अभियुक्तों की तरह, पुख्ता सबूतों की कमी या दुर्घटना के मामले में बरी हो जाएंगे क्योंकि उनके पास अभी भी स्थानीय नेताओं का छिपा हुआ आशीर्वाद है. लेकिन 19 साल के बेटे यश और उनकी 75 साल की मां का क्या, जो इस वक्त काफी तनाव में हैं ?

शशिकांत वारिसे की पत्रकारिता के आदर्शवाद का ‘स्प्राउट्स’ सम्मान करता है.

संबंधित लेख व घडामोडी

Government Favoring Adani!

Government Favoring Adani!

...Now Preparing to Give Land of Aksa Village Unmesh Gujarathi Sprouts Exclusive Sprouts Special Investigative Team Reveals Strong Opposition to Adani’s Dharavi Redevelopment Project in Maharashtra. Protests Erupt as Villagers Resist Survey for Dharavi Redevelopment....

GST Evasion Scandal Unearthed in Hiranandani Group Housing Societies

GST Evasion Scandal Unearthed in Hiranandani Group Housing Societies

Sprouts Special Investigation Team, Led by Unmesh Gujarathi, Exposes Tax Fraud Unmesh Gujarathi Sprouts News Exclusive The Sprouts Special Investigation Team (SIT), under the leadership of investigative journalist Unmesh Gujarathi, has unveiled a significant GST...

Will US Consulate Act Against Fake Paper Universities?

Will US Consulate Act Against Fake Paper Universities?

Sprouts SIT's Exclusive Expose on Fake Doctorates Unmesh Gujarathi Sprouts Exclusive Mumbai's most trusted newspaper, Sprouts, through its Sprouts Special Investigation Team, has uncovered a disturbing trend: the rise of fraudulent 'paper universities' in India...

अर्थकारणाला वाहिलेलं ह्या पोर्टलवरून अर्थविश्वातील प्रत्येक क्षणाची घडामोड जाणून घेण्यासाठी

आमची समाजमाध्यमं

Sed ut perspiciatis unde omnis iste natus error sit voluptatem accusantium doloremque

मनी कंट्रोल न्यूज पोर्टल © २०२२. सर्व हक्क आरक्षित.